Monday, August 19, 2019

चांद पर भारत की नींव रखने वाले डॉक्टर विक्रम साराभाई, जो परमाणु बम के ख़िलाफ़ थे- विवेचना

12 अगस्त, 1919 को जब अहमदाबाद के कपड़ा मिल मालिक अंबालाल साराभाई के घर एक लड़का पैदा हुआ तो सबका ध्यान सबसे पहले उसके कानों की तरफ़ गया.

वो कान इतने बड़े थे कि जिसने भी देखा उसी ने कहा कि वो गांधीजी के कानों से बहुत मिलते हैं.

अंबालाल के करीबी लोगों ने मज़ाक भी किया कि इन कानों को पान की तरह मोड़ कर उसकी गिलोरी बनाई जा सकती है. इस लड़के का नाम विक्रम अंबालाल साराभाई रखा गया.

उस समय साराभाई के अहमदाबाद वाले घर में भारत के चोटी के बुद्धिजीवी और वैज्ञानिक जैसे जगदीश चंद्र बसु और सीवी रमण, मशहूर इतिहासकार जदुनाथ सरकार, राजनेता और वकील बुलाभाई देसाई, जानी मानी नृत्यांगना रुक्मणी अरुंदेल और दार्शनिक गुरु जिद्दू कृष्णामूर्ति जैसे लोग ठहरा करते थे.

विक्रम साराभाई की जीवनी लिखने वाली अमृता शाह बताती हैं, "टैगोर को किसी शख़्स के माथे को देख कर उसके बारे में भविष्यवाणी करने का शौक़ था. जब नवजात विक्रम को उनके सामने ले जाया गया तो उन्होंने उनके चौड़े और असमान्य माथे को देख कर कहा था, "ये बच्चा एक दिन बहुत बड़े काम करेगा."

बाद में जब विक्रम साराभाई ने केंब्रिज में पढ़ने का फ़ैसला किया तो टैगोर ने उनके लिए एक 'रिकमंडेशन लेटर' लिखा था.

विक्रम साराभाई की बेटी मल्लिका साराभाई आज भारत की जानी-मानी नृत्यांगना हैं.

वो बताती हैं कि उन्होंने अपने पिता को हमेशा अपने विचारों में मग्न देखा. मशहूर चित्रकार रोडां की कलाकृति 'थिंकर' की तरह उनका हाथ हमेशा सोच की मुद्रा में उनकी ठुड्डी पर रहता था.

मल्लिका याद करती है, "मेरे पिता ज़मीन से जुड़े हुए शख़्स थे. हर एक की बात वो बहुत ध्यान से सुनते थे. हमेशा सफ़ेद खादी का कुर्ता पाजामा पहनते थे. जब बहुत ज़रूरी होता था तो वो सूट पहनते थे. लेकिन उसके ऊपर जूते की बजाय कोल्हापुरी चप्पल पहना करते थे.वो हम दोनों बच्चों पर बहुत गर्व करते थे."

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