Wednesday, July 31, 2019

Убийц «банды Емели» осудили на пожизненный срок: приговор выслушали смиренно

От 18 лет колонии до пожизненных сроков получили члены «банды Емели» - одной из самых кровавых группировок в России, на счету которой более полусотни жестоких убийств. Вынести приговор киллерам удалось только со второго раза — в 2015 году присяжные оправдали бандитов.

Самые суровые сроки получили руководители банды. Стоявший у истоков создания группировки Игорь Галанцев и его «правая рука» Сергей Новгородов закончат свои дни в колонии. Еще двое преступников Андрей Гуров и Олег Терешин были осуждены на 18 лет колонии строгого режима, Игорь Семенов получил 19 лет. Геннадию Баронову и Петру Турлаеву предстоит отсидеть в колонии только по этому делу 21 год (у парочки есть сроки по другим делам).

Даже осужденные на пожизненные сроки восприняли приговор довольно спокойно и даже смиренно. Уже после заседания их адвокаты заявили, что будут обжаловать решение суда.

Напомним, что группировка возникла в 1990-х в городе Рославль Смоленской области. Собрал бандитов простой учитель физкультуры Юрий Мисуркин. Впрочем, вскоре он пропал без вести, а его место занял Николай Емельянов и Игорь Галанцев. Специализировались бандиты на торговле контрабандным алкоголем и табаком, а также сбору дани с челночников и владельцев автосервисов.

По данным следствия, киллеры совершали убийства в Брянской и Калужской областях, ликвидируя в том числе и своих конкурентов. Для выполнения заказов подсудимые приобретали, перевозили и хранили целый арсенал различных стволов. Кроме того, у бандитов были устройства, позволяющие сканировать частоты средств связи полицейских.

Правоохранительным органам пока не удается добраться до лидера банды - Николая Емельянова (Емели). Уже который год он является одним из самых разыскиваемых преступников и за информацию о нем МВД сулит миллион рублей. Кроме него на свободе остаются и другие бандиты - в какой-то момент в группировке насчитывалось 70 человек, в том числе и несовершеннолетних.

В ходе первого судебного разбирательства присяжные оправдали почти всех бандитов. Не исключено, что на такое странное решение повлиял неприятный инцидент с одной из присяжных. Женщина была избита после судебного заседания. Верховный суд установил, что в ходе разбирательства были нарушения и направил дело на новое рассмотрение. В этот раз присяжные решили, что все бандиты виновны и не заслуживают снисхождения.

Wednesday, July 24, 2019

台湾总统选举:蔡英文借势网红助连任,但学者称政绩才是关键

网路世代崛起,台湾现任总统蔡英文连任路上将受到国民党的韩国瑜严峻挑战。离明年1月的台湾总统选举还有近半年,但是蔡英文的网路宣传战早已悄悄开打。

从今年初开始,为了力拼网路声量,蔡英文密集与网红YouTuber合作,BBC中文采访与台湾总统府团队合作的网红,一窥蔡英文的网红策略是怎么操作,并如何通过网路打选战。

重启YouTube频道 加强网红合作
蔡英文今年3月17日重新启用其团队的YouTube频道后,至今已有15万订阅户; 而就在频道重启两天后,台湾网红蔡阿嘎的频道就推出与蔡英文的合作影片“嘎名人尬台语”与“总统做什么”,至今累积观看人次分别超过200万及近70万,引起广大回响。

而就在蔡阿嘎的影片上架后不到一周,“志祺七七”3月21日紧接着发布与蔡英文合作的开箱总统行李影片。从3月至今,蔡英文已陆续与台湾多名网红,蔡阿嘎、志祺七七、鱼干、魔术师吴何、博恩夜夜秀、馆长、阿滴英文合作拍影片。

在这些影片中,蔡英文展现亲民形象,像是与鱼干的合作影片,她就与家里养的狗狗互动,与志祺七七合作拍片,就公布私人行李箱所装的物品。

蔡英文最近一次与网红合作,就是7月11日开始进行加勒比海友邦访问期间,所发布与志祺及阿滴合作的影片。“阿滴英文”是由一对从新加坡留学回来的台湾兄妹组成的英文教学YouTube频道,目前在台湾是人气第二名的YouTuber,订阅数超过224万。排名第一的是“这群人”,第三名则是“蔡阿嘎”。

影片中,阿滴及志祺透过镜头让粉丝一窥总统专机的内部装潢,阿滴更以全英文访问蔡英文,问了关于总统专机的相关问题,蔡英文也在官方脸书上分享这段访问,而志祺则相对严肃,访谈中问蔡英文台美关系的议题。

事实上,这是“志祺七七”频道二度与蔡英文合作拍影片,“志祺七七”的创建人张志祺向BBC中文透露,蔡英文三年多前竞选总统时,就曾与他合作,当时张志祺专攻解释社会议题的网路“懒人包”。

不过,蔡英文团队上任后就没有与他接触,直到今年二月才突然接到总统府的邀约,希望能与YouTuber网红合作。他说:“因为频道知名度还不算高,有感到讶异。”并透露,总统府认为,人民对蔡英文的好感度不够高,想透过有趣的方式与民众沟通政策。

因此,张志祺扮演着类似顾问角色,协助蔡英文团队与各个网红牵线,才促成蔡英文与蔡阿嘎、阿滴等人的合作影片。他解释,像是蔡英文出访友邦前,总统府提出与外交议题有关影片的需求,张志祺建议可以找阿滴,才会出现蔡英文与“阿滴英文”的合作影片。

几乎没有禁区的合作
张志祺向BBC中文说,“蔡英文团队非常尊重创作者,拍摄影片前只开过一次会议”,除了访纲问题要先给之外,对于影片内容、拍摄需求、现场追问其他问题都来者不拒。他强调:“影片里,蔡英文都是非常真实反应,没有脚本,也没有NG重拍。”

张志祺表示,蔡英文团队非常配合,像全英文访谈,开总统行李箱等想法,他们都觉得没问题。他说:“和过去印象很不同,以前会以为他们很传统,不敢尝试新东西。”

不过他指出,政治人物与商业合作最大的不同,是对绩效指标的要求不同,企业期待看到的是货品行销出去,而政治人物则是较重视是否会有负面形象的连结,所以做很多认知上的沟通,也比较勇于突破。张志祺说,他在协助蔡英文将她“人格立体化”,使形象更亲民。他也指出,政治人物与网红合作,在行销上也有加乘效果,因为主流媒体会跟进报导,使影片的曝光度倍增。

以“阿滴英文”频道为例,与蔡英文合作的影片发布当周,订阅人数明显增长,比前一周成长4倍以上。“阿滴英文”7月13月发布与蔡英文合作影片,订阅数增加2800个,而前一周每天的订阅量平均约只有640个。至于蔡英文的YouTube频道,从3月起也稳定成长。

台湾总统府发言人林鹤明曾指出,蔡英文此行出访,除了亲自透过国事访问增进友邦邦谊外,也将持续透过社群媒体,让更多人了解台湾外交处境与政府努力的成果。

张志祺透露,影片完成后,会寄一个版本给总统府,不过除了因为影片中有军事基地,因国安问题遭要求删除外,其他内容都没有更改。他形容蔡英文是“充满少女心的必修课的大学教授”,讲话及做事都非常严谨,但却有保有少女的一面,像是爱吃泡面或爱聊童趣。“或许是因为在府方的控管下,她的真实面比较难被看见”他说。

另外一名曾和蔡英文团队合作过的网红插画家A RAY,今年5月在其官方脸书上,发布“不要玩总统”相簿,设计一系列与蔡英文在几十LINE对话的截图,将蔡总统画成星际大战里的尤达大师、绿巨人浩克,另类行销引发讨论。

A RAY说,蔡英文团队对创意的接受度,也让他大感意外。他向BBC中文表示:“我一开始想说会不会太over,因为丑化总统,可能会不适合。”在和总统府开过一次会议后,他很惊讶,他的想法,蔡英文团队全都接受,不过对话内容仍需要审稿,将说话语气修饰比较像蔡英文的风格。

从与网红接触到完成成品,张志祺和A RAY都表示大约一个月内就可以完成,过程也都只开过一次面对面的会议。张志祺说,在影片露出后,总统府非常满意,因为过去外交出访,蔡英文常会遭受批评,但这次找YouTuber合作影片,当下网路是正面讨论,“对总统的会比较有好感”,也更佳确立与YouTuber网红合作,是有效的沟通方式。

政绩、政见才是胜选关键
学者表示,网路声量决定政治人物的支持度,但政绩和政见才是决定赢得选举的关键,文化大学广告学系专任教授兼系主任钮则勋向BBC分析,蔡英文所属的民进党,去年地方选举大败,因此希望调整竞选策略,希望在网路社群中拉高声量,支持度才会提高,像是北高市长柯文哲和高雄市长韩国瑜都是在网路上成功拉抬声量,而成功当选。

他认为,蔡英文今年一月强硬回应习近平“两制”台湾方案提议,网路声量拉高,因此希望延续这股能量,提高支持度。钮则勋分析,明年的总统大选与上一届差太多,网路行销模式更多元,他说:“加上近三年网红增加,网红与政治人物合体,对选情会有一定影响。

Wednesday, July 3, 2019

भारत में बढ़ती गर्मी से कम होंगी 3.4 करोड़ नौकरियां

सयुंक्त राष्ट्र संघ ने अपनी हालिया रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत में बढ़ती गर्मी की वजह से साल 2030 तक 3.4 करोड़ नौकरियां ख़त्म हो जाएंगी.

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बढ़ती गर्मी दुनिया भर में काम करने वाले मज़दूरों की ज़िंदगी पर क्या असर डालेगी.

भारत में सबसे ज़्यादा लोग खेती समेत तमाम दूसरे असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं, जहां मज़दूरों को उनके शारीरिक श्रम के बदले में मज़दूरी मिलती है.

ऐसे लोगों को धूप में सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक काम करना पड़ता है. इस बीच में आराम करने की अवधि भी लगभग तीस मिनट होती है.

रिपोर्ट बताती है कि बढ़ती गर्मी की वजह से ऐसे मज़दूर दिन के घंटों में काम नहीं कर पाएंगे क्योंकि इस दौरान तापमान अपने चरम पर होगा.

इस वजह से काम के घंटों में कमी आएगी जो कि सीधे तौर पर मजदूरों की आमदनी को प्रभावित करेगी.

सयुंक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट में भी ये बात सामने आई है कि जलवायु परिवर्तन का सबसे ज़्यादा असर खेतिहर और बिल्डिंग निर्माण में लगे मज़दूरों पर पड़ेगा.

भारत में 90 फ़ीसदी मजदूर असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं जिनमें खेती और बिल्डिंग निर्माण जैसे क्षेत्र शामिल हैं.

इन क्षेत्रों में मजदूरों को धूप और लू का सामना करते हुए सुबह दस बजे से लेकर शाम पांच बजे तक काम करना पड़ता है.

रिपोर्ट के मुताबिक़, 'बढ़ती गर्मी की वजह से दुनिया भर में काम के घंटों में 2.2 फ़ीसदी की कमी आएगी. इसका सबसे ज़्यादा असर भारत पर पड़ेगा. साल 1995 में भारत में काम के घंटों में 4.3 फ़ीसदी की कमी आई थी. लेकिन साल 2030 तक ये आंकड़ा 5.8 फ़ीसदी तक बढ़ने की आशंका है."

साल 2019 में भी ऐसे मामले सामने आए हैं जिनकी वजह से इस तरह की नौकरियों के कम होने के संकेत मिले हैं.

बीबीसी ने बिहार में आम मज़दूरों पर गर्मी के असर को लेकर एक रिपोर्ट की है.

इस रिपोर्ट में सामने आया है कि गर्मी की वजह से काम के लिए उपलब्ध मज़दूरों की संख्या और काम की उपलब्धता में कमी आई है.

ईंट भट्टों पर काम करने वाले मज़दूरों के संबंध में रिपोर्ट बताती है, "भारत में करोड़ों लोग ईंट-भट्टों पर काम करते हैं जिनमें से ज़्यादातर लोग अपने गांवों को छोड़कर शहर किनारे बने ईंट भट्टों पर काम करते हैं."

"इन मज़दूरों में बच्चे भी शामिल होते हैं जो कि अक्सर निचले सामाजिक-आर्थिक दर्जे से आते हैं. ये लोग कठिन स्थितियों में काम करते हैं और बदले में काफ़ी कम मज़दूरी हासिल करते हैं. कभी-कभी इन मज़दूरों को उनकी मज़दूरी भी नहीं मिलती है. ये लोग तेज धूप में काम करते हैं और भट्टों पर कभी-कभी तापमान 45 डिग्री तक पहुंच जाता है."

सेंटर फॉर इन्वॉयरन्मेंट स्टडीज़ के उपनिदेशक चंद्र भूषण ईंट भट्टों पर काम करने वाले मज़दूरों को लेकर चिंता व्यक्त करते हैं.

वह कहते हैं, "रिपोर्ट में ईंट-भट्टों पर काम करने वाले मज़दूरों का ज़िक्र किया गया है. मैंने हाल ही में कई भट्टों का दौरा किया और पाया कि इन भट्टों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से कहीं आगे बढ़कर पचपन से साठ डिग्री तक पहुंच जाता है."

"यहां काम करना कितना मुश्किल है, ये इस बात से समझा जा सकता है कि यहां काम करने वाले लोग प्लास्टिक या रबड़ से बनी चप्पलें नहीं पहन पाते हैं. क्योंकि वे गर्मी की वजह से पिघल जाती हैं. ऐसे में ये लोग लकड़ी की बनी चप्पलों को पहनने पर विवश होते हैं."

"ऐसे में ईंट भट्टे और असंगठित क्षेत्रों में धातु पिघलाने की भट्टियों में काम करने वाले लोगों के लिए काम करना बेहद मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में लगातार बढ़ता तापमान इस तरह की नौकरियों पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है."

देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते तापमान का असर बिजली की खपत के रूप में सामने आ रहा है.

बीते मंगलवार को राजधानी दिल्ली में रिकॉर्ड तोड़ 7409 मेगावॉट बिजली खर्च की गई जिसने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.

न्यूज़ वेबसाइट लाइवमिंट के मुताबिक़, पूरे भारत में किसी शहर में एक दिन में इतनी बिजली खर्च नहीं की गई है.

चंद्र भूषण बिजली की खपत के आर्थिक पहलू की ओर ध्यान खींचते हैं.

वह बताते हैं, "बढ़ते तापमान की वजह से दिल्ली में बिजली की ख़पत सात हज़ार मेगा वॉट से ज़्यादा हो चुकी है. लेकिन अगर आने वाले सालों में ये खपत 12000 तक पहुंच जाए तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा. क्योंकि बढ़ती गर्मी लोगों को एयर-कंडीशन और कूलर ख़रीदने पर मजबूर करती है. इस वजह से गर्मियों में बिजली की खपत बढ़ने लगती है."

"फ़िलहाल भारत में लगभग 14 से 15 फीसदी घरों में एयर कंडीशन लगे हुए हैं. लेकिन आने वाले समय में ज़्यादा से ज़्यादा घरों तक एसी की पहुंच बढ़ेगी क्योंकि 48-50 डिग्री सेल्सियस में जीना मुश्किल है."

ऐसे में रोज़गार की कमी का सामना कर रहे मध्य वर्ग पर गर्मी से बचाव के लिए भी क्षमता से ज़्यादा खर्च करने का दबाव पड़ेगा.

क्या होंगे दूरगामी परिणाम
इस रिपोर्ट से पहले भी जारी हुई तमाम अध्ययनों में ये बात सामने आई है कि बढ़ती गर्मी विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को भी गंभीर रूप से प्रभावित करेगी.

लेकिन सवाल उठता है कि भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका कितना असर होगा.

इस रिपोर्ट को लिखने वालीं कैथरीन सेगेट इस सवाल का जवाब देती हैं.

वो बताती हैं, "गर्मी की वजह से मज़दूरों की उत्पादकता पर असर पड़ना जलवायु परिवर्तन का सबसे गंभीर परिणाम है. हम इस बात की उम्मीद कर सकते हैं आने वाले समय में कम आय-वर्ग और ज़्यादा आय-वर्ग वाले देशों के बीच आमदनी के बीच की खाई काफ़ी बढ़ सकती है. इसका सबसे ज़्यादा असर उन लोगों पर पड़ सकता है जो कि पहले से जोख़िम भरी स्थितियों में काम कर रहे हैं."

इसके साथ ही भारत की जीडीपी पर भी इसका भारी असर देखने को मिलेगा क्योंकि तापमान में बढ़ोतरी की वजह से भारत की जीडीपी में 5 फीसदी की कमी आ सकती है.