Friday, February 15, 2019

新疆“再教育营”:维族音乐家的生死罗生门

维吾尔音乐家阿不都日衣木·艾衣提(Abdurehim Heyit)(前译黑伊特)在中国新疆拘留营的生死受到外界关注。土耳其外交部根据早前对其已死的报道,要求中国关闭拘留营。但中国发布一段视频证明其还“活着”。

周日(2月10日)夜晚,中国官方媒体在“推特”上公布一段视频证明此前外界报道在中国新疆拘留营被指“已死”的维吾尔音乐家艾衣提还在世。

同日,中国驻土耳其大使馆发表声明称,“经查证,阿不都日衣木·艾衣提,男,57岁,维吾尔族,新疆歌舞团原演员。其因涉嫌危害国家安全罪被依法逮捕,目前身体健康,并非土方所说的已经死亡”。

该视频时间显示为2月10日。一名男子声称自己是维吾尔音乐家艾衣提,并称自己“身体状况良好”。

早前的报道称艾衣提“已死”,土耳其外交部周六(2月9日)要求中国关闭拘押约百万人的“再教育中心”。一些维吾尔人质疑该视频的真实性。

总部位于美国的维吾尔人权项目主席特克尔(Nury Turkel)告诉BBC,该视频的某些方面很“可疑”。该视频由中国国际广播电台的土耳其语部发布。艾衣提在视频中说,他“正因涉嫌违反国家法律而受到调查”。

土耳其穆斯林和来自中国大西北地区的维吾尔人在种族、文化和信仰上有紧密关联。

到目前为止,几乎没有以穆斯林为主的国家加入国际社会公开谴责中国新疆的拘留营。分析人士称,许多人担心中国的政治和经济报复。

不过,特克尔表示,中国发布该视频表明,中国政府确实会回应公众压力。

“中国政府回应土耳其是因为土耳其在穆斯林世界的影响。”他还补充说,联合国秘书长古特雷斯在新疆问题上“非常安静”。

“中国政府手上有主动权。他们拘留艾衣提,拘留了占总穆斯林人口10%的维吾尔人。他们试图告诉全世界,这里没有虐待,这些只有所谓的‘职业培训中心’。他们有责任证明视频是真实的。”他说。

特克尔说,由于“技术优势”,中国政府有能力篡改视频。“凭借今天的技术,可以造一个自述视频。这并不困难。”他说。

土耳其怎么说?
土耳其外交部发言人哈米·阿克索(Hami Aksoy)在星期六(2月8号)发表的一份声明中说:“有一百多万的维吾尔土耳其人被任意逮捕,他们在监狱中遭受酷刑和政治洗脑,这已不再是秘密。” 他还补充说,那些未被拘留的人也遭受“巨大压力”。

“在21世纪重新引入集中营以及中国当局对维吾尔族土耳其人的系统性同化政策是对人道的一大羞辱。” 阿克索说。

他还说,艾衣提已死的报道“让土耳其公众对新疆严重侵犯人权的行为有更强烈的反应”,他并呼吁联合国秘书长安东尼奥·古特雷斯(Antonio Guterres) “采取有效措施来结束(那里的)人间悲剧”。

中国驻土耳其大使馆2月10日发表声明称,土耳其外交部新闻发言人所说的"中国对所有宗教信仰实行同化政策",违背了宗教发展演变的规律,是对宗教中国化方向的歪曲,不符合中国宗教实际情况。北京声称新疆的拘留营是旨在帮助该地区摆脱恐怖主义威胁的“职业教育中心”。

去年10月,新疆维吾尔自治区主席雪克来提·扎克尔(Shohrat Zakir)在新华社的文章中表示,教育营中的“受训人员”感谢组织给机会“反思他们的错误”。

“再教育营”的学员说:“以前完全不掌握国家通用语言文字,也不懂法,犯了错也不知道,但政府并没有放弃我,积极挽救帮助我,让我免费吃住、免费学习,我现在各方面都有了很大进步,一定珍惜这个机会,以后做一个对国家、社会有用的人”。

人权组织称,穆斯林群体因拒绝提供DNA样本、说少数民族语言或与官员争吵等“违规行为”而受到指控。

Friday, February 8, 2019

विरोध के बाद अब केंद्र सरकार रोस्टर सिस्टम पर बिल या अध्यादेश लाने को तैयार

बजट सत्र के दौरान शुक्रवार को मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राज्यसभा में कहा है कि विश्वविद्यालयों की नियुक्तियों में आरक्षण संबंधी रोस्टर सिस्टम से अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और पिछड़े वर्ग के आरक्षण पर कोई असर नहीं पड़ने देंगे. उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट से याचिका खारिज भी हो जाती है तो इसके लिए सरकार ने अध्यादेश या विधेयक लाने का फैसला किया है.

राज्यसभा में इस मुद्दे पर सपा, बसपा समेत कई विपक्षी दलों के हंगामे की वजह से पिछले तीन दिनों से जारी गतिरोध पर सरकार की अपना रुख साफ किया है. मंत्री जावड़ेकर ने कहा कि आरक्षण संबंधी रोस्टर सिस्टम पर सुप्रीम कोर्ट में सरकार पुनर्विचार याचिका दायर करेगी. उन्होंने कहा कि अदालत में अगर यह याचिका खारिज हो जाती है तो सरकार इसके लिए अध्यादेश या विधेयक भी लाएगी.

विपक्ष क्यों कर रहा है विरोध

बता दें कि सपा, बसपा, AAP और आरजेडी के सांसद उच्च शिक्षण संस्थाओं में नियुक्तियों में आरक्षण संबंधी 13 पॉइंट रोस्टर के बजाय 200 पॉइंट रोस्टर को वापस लाने के लिये अध्यादेश या विधेयक की मांग कर रहे हैं. इन सांसदों की दलील है कि रोस्टर सिस्टम से अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों का आरक्षण खत्म हो जाएगा.

शिक्षा मंत्री जावड़ेकर ने गुरुवार को राज्यसभा में इस मुद्दे पर बयान दिया था. उन्होंने बताया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर लागू किए गए 200 पॉइंट रोस्टर सिस्टम के खिलाफ केंद्र सरकार की ओर सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका खारिज करने के बाद सरकार अब पुनर्विचार याचिका दायर करेगी.

विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि उसने कोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष नहीं रखा है. विपक्षी दलों ने मांग कि अगर सरकार 2 दिन के भीतर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने से जुड़ा बिल ला सकती है तो इस मुद्दे पर विधेयक या अध्यादेश क्यों नहीं ला रही है. जावड़ेकर ने कहा, ‘सरकार हमेशा सामाजिक न्याय के पक्ष में है, पुनर्विचार याचिका खारिज होने की स्थिति में सरकार ने अध्यादेश या विधेयक लाने का फैसला किया है.’

प्रकाश जावड़ेकर ने इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया पूरा होने तक उच्च शिक्षण संस्थाओं में नियुक्ति या भर्ती प्रक्रिया बंद रहने का भी भरोसा दिलाया. इस बीच विपक्ष के आरोपों के जवाब में जावड़ेकर ने अदालत में बहस के दस्तावेज को सदन के पटल पर पेश भी किया.

मंत्री ने बताया कि रोस्टर सिस्टम को यूनिवर्सिटी के बजाय विभाग के आधार पर लागू करने से विभिन्न वर्गों के आरक्षण पर पड़ने वाले बुरे असर का सरकार ने अध्ययन कराया है. जावड़ेकर ने बताया ‘हमने नया अध्ययन किया है जिसमें करीब 30 विश्वविद्यालयों की मौजूदा व्यवस्था का विश्लेषण कर यह जानने की कोशिश की गई है कि विभागवार रोस्टर सिस्टम लागू करने पर SC/ST आरक्षण को को किस तरह से नुकसान होगा.’

कैसे बदला रोस्टर सिस्टम

देश के विश्वविद्यालयो में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पहले 200 पॉइंट रोस्टर के तहत आरक्षण की व्यवस्था थी. इस व्यवस्था के तहत विश्वविद्यालय को एक यूनिट माना जाता था. इसमें 1 से 200 पद के लिए 49.5 फीसदी आरक्षित वर्ग और 50.5 फीसदी अनारक्षित वर्ग के हिसाब से भर्ती की व्यवस्था थी. यूनिवर्सिटी को एक यूनिट मानने से सभी वर्ग के उम्मीदवारों की भागीदारी सुनिश्चित हो पाती थी.

नए नियम यानी 13 पॉइंट रोस्टर के तहत विश्वविद्यालय को यूनिट मानने के बजाय विभाग को यूनिट माना गया. इसमें पहला, दूसरा और तीसरा पद सामान्य वर्ग के लिए रखा गया है. जबकि चौथा पद ओबीसी वर्ग के लिए, पांचवां और छठां पद सामान्य वर्ग के लिए रखा गया है. इसके बाद 7वां पद अनुसूचित जाति के लिए, 8वां पद ओबीसी, फिर 9वां, 10वां, 11वां पद फिर सामान्य वर्ग के लिए. 12वां पद ओबीसी के लिए, 13वां फिर सामान्य के लिए और 14वां पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होगा. विपक्ष का आरोप है कि इस नए रोस्टर के तहत SC/ST और ओबीसी आरक्षण पर बुरा असर पड़ेगा और इस वर्ग के लोग यूनिवर्सिटी में जगह नहीं पा सकेंगे.