Friday, February 8, 2019

विरोध के बाद अब केंद्र सरकार रोस्टर सिस्टम पर बिल या अध्यादेश लाने को तैयार

बजट सत्र के दौरान शुक्रवार को मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राज्यसभा में कहा है कि विश्वविद्यालयों की नियुक्तियों में आरक्षण संबंधी रोस्टर सिस्टम से अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और पिछड़े वर्ग के आरक्षण पर कोई असर नहीं पड़ने देंगे. उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट से याचिका खारिज भी हो जाती है तो इसके लिए सरकार ने अध्यादेश या विधेयक लाने का फैसला किया है.

राज्यसभा में इस मुद्दे पर सपा, बसपा समेत कई विपक्षी दलों के हंगामे की वजह से पिछले तीन दिनों से जारी गतिरोध पर सरकार की अपना रुख साफ किया है. मंत्री जावड़ेकर ने कहा कि आरक्षण संबंधी रोस्टर सिस्टम पर सुप्रीम कोर्ट में सरकार पुनर्विचार याचिका दायर करेगी. उन्होंने कहा कि अदालत में अगर यह याचिका खारिज हो जाती है तो सरकार इसके लिए अध्यादेश या विधेयक भी लाएगी.

विपक्ष क्यों कर रहा है विरोध

बता दें कि सपा, बसपा, AAP और आरजेडी के सांसद उच्च शिक्षण संस्थाओं में नियुक्तियों में आरक्षण संबंधी 13 पॉइंट रोस्टर के बजाय 200 पॉइंट रोस्टर को वापस लाने के लिये अध्यादेश या विधेयक की मांग कर रहे हैं. इन सांसदों की दलील है कि रोस्टर सिस्टम से अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों का आरक्षण खत्म हो जाएगा.

शिक्षा मंत्री जावड़ेकर ने गुरुवार को राज्यसभा में इस मुद्दे पर बयान दिया था. उन्होंने बताया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर लागू किए गए 200 पॉइंट रोस्टर सिस्टम के खिलाफ केंद्र सरकार की ओर सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका खारिज करने के बाद सरकार अब पुनर्विचार याचिका दायर करेगी.

विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि उसने कोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष नहीं रखा है. विपक्षी दलों ने मांग कि अगर सरकार 2 दिन के भीतर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने से जुड़ा बिल ला सकती है तो इस मुद्दे पर विधेयक या अध्यादेश क्यों नहीं ला रही है. जावड़ेकर ने कहा, ‘सरकार हमेशा सामाजिक न्याय के पक्ष में है, पुनर्विचार याचिका खारिज होने की स्थिति में सरकार ने अध्यादेश या विधेयक लाने का फैसला किया है.’

प्रकाश जावड़ेकर ने इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया पूरा होने तक उच्च शिक्षण संस्थाओं में नियुक्ति या भर्ती प्रक्रिया बंद रहने का भी भरोसा दिलाया. इस बीच विपक्ष के आरोपों के जवाब में जावड़ेकर ने अदालत में बहस के दस्तावेज को सदन के पटल पर पेश भी किया.

मंत्री ने बताया कि रोस्टर सिस्टम को यूनिवर्सिटी के बजाय विभाग के आधार पर लागू करने से विभिन्न वर्गों के आरक्षण पर पड़ने वाले बुरे असर का सरकार ने अध्ययन कराया है. जावड़ेकर ने बताया ‘हमने नया अध्ययन किया है जिसमें करीब 30 विश्वविद्यालयों की मौजूदा व्यवस्था का विश्लेषण कर यह जानने की कोशिश की गई है कि विभागवार रोस्टर सिस्टम लागू करने पर SC/ST आरक्षण को को किस तरह से नुकसान होगा.’

कैसे बदला रोस्टर सिस्टम

देश के विश्वविद्यालयो में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पहले 200 पॉइंट रोस्टर के तहत आरक्षण की व्यवस्था थी. इस व्यवस्था के तहत विश्वविद्यालय को एक यूनिट माना जाता था. इसमें 1 से 200 पद के लिए 49.5 फीसदी आरक्षित वर्ग और 50.5 फीसदी अनारक्षित वर्ग के हिसाब से भर्ती की व्यवस्था थी. यूनिवर्सिटी को एक यूनिट मानने से सभी वर्ग के उम्मीदवारों की भागीदारी सुनिश्चित हो पाती थी.

नए नियम यानी 13 पॉइंट रोस्टर के तहत विश्वविद्यालय को यूनिट मानने के बजाय विभाग को यूनिट माना गया. इसमें पहला, दूसरा और तीसरा पद सामान्य वर्ग के लिए रखा गया है. जबकि चौथा पद ओबीसी वर्ग के लिए, पांचवां और छठां पद सामान्य वर्ग के लिए रखा गया है. इसके बाद 7वां पद अनुसूचित जाति के लिए, 8वां पद ओबीसी, फिर 9वां, 10वां, 11वां पद फिर सामान्य वर्ग के लिए. 12वां पद ओबीसी के लिए, 13वां फिर सामान्य के लिए और 14वां पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होगा. विपक्ष का आरोप है कि इस नए रोस्टर के तहत SC/ST और ओबीसी आरक्षण पर बुरा असर पड़ेगा और इस वर्ग के लोग यूनिवर्सिटी में जगह नहीं पा सकेंगे.

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